हे प्रभु वीर दया के सागर

हे प्रभु वीर दया के सागरए
सब गुण आगर ज्ञान उजागर।
जब तक जीऊं हंस हंस जीऊंए
ज्ञान सुधारस अमृत पीऊं।
सत्य अहिंसा का रस पीऊं।।
छोडू लोभ घमंड बुराईए
चाहू सब की नित्य भलाई।
जो करना सो अच्छा करनाए
फिर दुनिया में किससे डरना।
हे प्रभु मेरा मन हो सुंदरए
वाणी सुंदरए जीवन सुंदर ।। हे प्रभु।।