माँ त्रिशला रा प्यारा

तर्ज: चांदसी महेबूबा

माँ त्रिशला रा प्यारा ने आ सारी दुनिया ध्यावे है
वीर प्रभुरे दर्शन ने आ नगरी उमडी आवे है।। धृ।।

दिन चैत्र सुदी तेरस आईए घरघर में खुशियाँ छाई है
सिध्दार्थ हर घर जन्म्या प्रभुजीए
माँ त्रिशलाने बधाई है
मेरु शिखर पर न्हावन करावनए इंद्रइंद्राणी आवे है।। १।।

तीस बरस की आयु में प्रभु राजघराणो छोड दियो
दुनिया ने ज्ञान सिखावण नेए ममता सु नातो तोड दियो
वैशाख सुदी दशमी रे दिन प्रभुए केवल ज्ञान को पाया है।। २।।

पावापुरी में निर्वाण पायाए आ गाथा सगळा गावे है
मनमोहिनी सुरत जिनवर रीए म्हारे मनडा ने भावे है
वीर प्रभु रे चरणों में आए मन बाँसुरी बाजे है।। ३।।