श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ
महत्वपूर्ण जानकारीया

श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ

श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ की शाखाओं के रूप में श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन महिला समिति एवं श्री अ.भा.सा. जैन समता युवा संघ के कार्यकर्ता निरन्तर इसकी प्रवृत्तियों को और अधिक प्रभावी बनाने में जुटे हुए है। देशभर में इन दोनों संस्थाओं के हजारों कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर अपने उद्धेश्यों एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने में जुटे हुए है। संघ निरन्तर आत्मनिर्भर बनकर विकास कर रहा है। संघ की बैंगलोर एवं चैन्नई स्थित सम्पतियों से प्रभुत आय प्राप्त हो रही है, जिससे संघ की प्रवृत्तियों का संचालन और अधिक कुशलता से किया जा रहा है।

श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ के केन्द्रीय कार्यालय द्वारा संघ का सम्पूर्ण कार्य संचालित किया जाता है। कहा जाता है कि किसी भी संस्था की प्रगति में उसके कार्यालय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है एवं उसे रीढ की हड्डी के रूप में स्थान दिया गया है। संघ स्थापना के साथ ही बीकानेर में रांगडी चौक में संघ का प्रथम कार्यालय स्थापित किया गया। तत्पश्चात् संघ कार्यों के विकास के साथ-साथ नवीन कार्यालय भवन की आवश्यकता महसूस की गई। उसी को देखते हुए आषाढ शुक्ला 12 संवत् 2031 दिनांक 1 जुलाई, 1974 सोमवार को दानवीर समाजरत्न श्री गणपतराजजी बोहरा के करकमलों से कार्यालय भवन का उद्घाटन किया गया। जो केन्द्रीय कार्यालय बीकानेर के रामपुरिया मार्ग में स्थित था। वर्तमान केन्द्रीय कार्यालय पूर्णतया कम्प्यूटराईज्ड एवं आधुनिक सुविधाओं से युक्त आचार्य श्री नानेश मार्ग, नोखा रोड़, गंगाशहर, बीकानेर में स्थित है।

संघ विज़न

जैन मूल्यों से सुसंस्कारित सम्यग् ज्ञान दर्शन चारित्र की आराधना को समर्पित उन्नत प्रबुद्ध समाज

श्रावक श्राविका, साधु साध्वी-उच्च गुणवत्ता-संख्या में विस्तार

संघ मिशन

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चर्तुविध संघ में ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की आराधना

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धार्मिक पाठशाला, शिविर, साहित्य-प्रकाशन, धार्मिक परीक्षाएं, छात्रवृत्ति इत्यादि के माध्यम से मूल्य आधारित शिक्षा व संस्कारयुक्त आचरण को प्रोत्साहन।
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धार्मिक शिक्षण हेतु श्रद्धानिष्ठ, समर्पित व चरित्रवान शिक्षक तैयार करना।
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स्वाध्यायी की गुणवत्ता को बढ़ाना, शिविर एवं पत्राचार के माध्यम से
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विहार सेवा दल का प्रशिक्षण द्वारा सशक्तिकरण।
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श्रमणोपासक के माध्यम से ज्ञानवृद्धि, नैतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक विकास, साथ ही जिनवाणी घर-घर तक पहुँचाना।

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जरूरतमंद स्वधर्मी भाई-बहनों को आर्थिक सहयोग प्रदान करना।

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चतुर्विध संघ के सुसंगठन में सहयोग।

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संघ समृद्धि योजनाओं को बढ़ावा।

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सामाजिक कुरीतियों, कुव्यसन, आडम्बर आदि के उन्मूलन हेतु एक उत्क्रान्ति – धर्मदेशना घर-घर तक पहुंचाकर उत्क्रान्ति परिवार के रूप में संकल्पित करवाना।

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जीवदया के सेवा कार्यों को प्रवर्तन

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इस प्रकार चहुंमुखी गतिविधियों व प्रकल्पों के माध्यम से संघ की उद्देश्य पूर्ति हेतु प्रयासरत रहना।

संघ विधान

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यह संघ, धर्म, मान्यता, संस्कृ ति, परम्परा, इतिहास, साहित्य, कला, धार्मिक समारोह इत्यादि के संबंध में भारत के ‘‘साधुमार्गी अनुयायीगण’’ का प्रतिनिधि व प्रतिकृति है

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यह संघ आचार्य श्री हुक्मीचन्द जी म.सा. की शुद्ध पाट परम्परा में विद्यमान आचार्य श्री के प्रति पूर्णतः श्रद्धावनत रहेगा एवं उन्हीं की मान्यताओं, धारणाओं एवं भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगा।

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यह संघ आचार्य श्री हुक्मीचन्द जी म.सा. की शुद्ध पाट परम्परा में क्र मशः आचार्य श्री शिवलाल जी म.सा., आचार्य श्री उदयसागर जी म.सा., आचार्य श्री चौथमल जी म.सा., आचार्य श्री श्रीलाल जी म.सा., आचार्य श्री जवाहरलाल जी म.सा., आचार्य श्री गणेशलाल जी म.सा., आचार्य श्री नानालाल जी म.सा., वर्तमान आचार्य श्री रामलाल जी म.सा. के प्रति पूर्ण श्रद्धानिष्ठ रहकर कार्य करेगा, एवं आचार्यश्री के विचारों एवं मान्य सिद्धान्तों के प्रचार प्रसार के लिए साहित्य वितरण, शिविरायोजन इत्यादि मेें विभिन्न प्रकार से सक्रिय रहेगा। इस प्रकार भविष्य में भी उसी परम्परा में जो विधिवत आचार्य होंगे,उनके प्रति संघ पूर्णतः श्रद्धावनत रहेगा एवं उन्हीं की मान्यताओं, धारणाओं एवं भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगा।

संघ की सहयोगी संस्थाएँ

समता महिला सेवा केंद्र : विगत तीन दशकों से इस सेवा केंद्र के तत्वावधान में अनेकों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर कई प्रकार / आकर के पापड़ तथा भिन्न भिन्न मसालों का उत्पादन किया जाता है । उत्पाद की गुणवत्ता व शुद्धता क्रेताओं व ग्राहकों द्वारा मान्य व अभिस्वीकृत है । जरूरतमंद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु एवं उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र करने की दिशा में एक ठोस चरण स्वरुप यह यह प्रकल्प आरम्भ हुआ था । महिलाओं को विविध व्यवसायों में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी होने की , व सम्मानपूर्वक जीवन जीने की , उत्प्रेरणा प्रदान की जाती है ।

सेवा केंद्र के व्यवसाय में वृद्धी हेतु व उत्पाद के विविधिकरण हेतु सारभूत व सुनियोजित उपक्रम प्रस्तावित हैं तथा विपणन ( Marketing ) हेतू क्षेत्रवार Dealer / Retailer की नियुक्ति भी विचारधीन है ।

श्री आदिनाथ पशुरक्षण संसथान , कानोड़ : भगवन महावीर की अमृतवाणी ‘ जिओ और जीने दो ‘ को आत्मसात करते हुए संघ द्वारा अनेक गौशालाओं एवं जीवदय केन्द्रों को सहायता दी जाती है । कानोड़ स्थ्ति श्री आदिनाथ पशुरक्षण संसथान नामक गौशाला का संचालन संघ द्वारा किया जा रहा है । इस गौशाला में वर्तमान में 125 से अधिक गायें है ।