श्री अ.भ.सा. जैन संघ की विभिन्न प्रवृत्तियों के सुचारू सञ्चालन हेतु एक अभिनव प्रतिबद्धता की मिसाल एवं अर्थ सौजन्य का माध्यम प्रस्तावित हुआ है । दानदाताओं ने अपनी आय का निर्धारित भाग आजीवन नियमित रूप से संघ को समर्पित करने का संकल्प लिया है । इस समर्पण भाव की अभिव्यक्ति को ” इदं न मम् ” (यह मेरा नहीं हैं) के रूप में साकार किया गया है । यह उपक्रम अक्टूबर 2015 को संघ समर्पणा महोत्सव के शुभ दिन प्रारम्भ किया गया।
आचार्य प्रवर 1008 श्रीरामलाल जी म.सा. रात्रिविश्राम हेतु विराजित
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सदस्य ख़ोज़
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