श्री अ.भा.सा. जैन संघ द्वारा संचालित विभिन्न प्रवृतियों/आयामों के उतरोत्तर विकास हेतु संघ सदस्यों द्धारा प्रेषित सूचनाएं/शिकायत/समीक्षा केवल लिखित में ही मान्य होगी। मौखिक सूचना/शिकायत एवं समीक्षा की प्रति उत्तर की जवाबदेही नहीं होगी। कृपया भविष्य में मौखिक के बजाय लिखित रूप में WhatsApp 9602026899 अथवा ईमेल आईडी- [email protected] अथवा Post से केन्द्रीय कार्यालय में भेजें। सुरेश जी बच्छावत, राष्ट्रीय महामंत्री, श्री अ.भा.सा.जैन संघ

संघ द्वारा संचालित प्रवृत्तियां

श्री अ.भा.सा.जैन संघ के साथ महिला व युवा संघ के माध्यम से 30 से अधिक प्रवृत्तियों और आयामों पर देशभर में लोक कल्याणकारी कार्य किए जा रहे हैं। जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक कार्य शामिल है। जैसे इदं न मम्, जीवदया, विहार सेवा, उच्च शिक्षा योजना, साहित्य व आगम साहित्य, सर्वधर्मी सहयोग, गुणशील, साधुमार्गी प्रोफेशन फॉर्म आदि प्रवृतियों व आयामों के माध्यम से जन सेवा का कार्य वृहद् स्तर पर किया जा रहा है।

साधुमार्गी पब्लिकेशन

संघ द्वारा जैन धर्म, दर्शन, आगम, कथा एवं प्रवचन से संबंधित साहित्य का प्रकाशन किया जाता है। अब तक 450 से अधिक साहित्य का प्रकाशन किया जा चुका है।

समता सेवा सोसायटी

विगत तीन दशकों से समता महिला सेवा केन्द्र, रतलाम के तत्वावधान में अनेक महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाकर कई प्रकार के पापडों़ तथा भिन्न-भिन्न मसालों का उत्पादन किया जाता है। उत्पाद की गुणवत्ता क्रेताओं व ग्राहकों द्वारा मान्य है। महिलाओं को स्वावलम्बी व सम्मानपूर्वक जीवन जीने की उत्प्रेरणा की जाती है।

साधुमार्गी ग्लोबल कार्ड

यह एक यूनिक कार्ड होगा, जो आधार कार्ड की तरह ही साधुमार्गी सदस्यों के लिए उपयोगी साबित होगा।

इसके माध्यम से संघ की विभिन्न जन-उपयोगी गतिविधियों-योजनाओं में उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग डेटाबेस का केन्द्रीकरण करने का कार्य किया जा रहा है। जिसमें संघ की सभी गतिविधियां डेटा बेस द्वारा संचालित की जा सके। इस प्रकार हमारा लक्ष्य प्रत्येक सदस्य की विभिन्न जानकारियां एक आई.डी नम्बर से जुड़ जाए। सदस्यगण अपनी एम.आई.डी. नम्बर देकर विभिन्न प्रवृत्तियों के बारे में संघ सम्बधी अपनी सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

समता समग्र आरोग्यम फिजियोथेरेपी सेन्टर

कंधे, घुटने, जोड़ों का दर्द व अर्थराइडटिस, गठिया, लकवा, सर्वाइकलस्पाॅन्डिलाइटिस, पीठ, कमर, कम्पन, झनझनाहट, सुन्नपन, बैलेंस बिगड़ना, ऑपरेशन के बाद की समस्या आदि का निःशुल्क इलाज।

जैन धर्म के साधुमार्गी श्वेतांबर संप्रदाय की प्रतिनिधि संस्था है ‘श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ।’ सन् 1962 में स्थापित इस संघ का उद्देश्य है सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र के रास्ते राष्ट्र का उत्थान।
भगवान महावीर के अनुपम विरासत के अनुरूप अध्यात्म, शुद्ध संयम व सशक्त अनुशासन की पुनस्र्थापना के काम में लगे इस संघ के आध्यात्मिक मूल स्रोत भगवान महावीर के पाट परम्परा पर विराजमान आचार्य हैं। अभी इस पाट पर आचार्य श्री रामेश विराजमान हैं।
यह संघ देश भर में 350 से अधिक शाखाओं के माध्यम से धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी निभा रहा है। बिना रुके, बिना थके समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में लगे संघ की शाखाएं अमेरिका, इंग्लैंड, नेपाल और भूटान समेत कई और देशों में भी है।
‘महिला समिति’ तथा ‘समता युवा संघ’ के रूप में अपनी दो भुजाओं की शक्ति के साथ संघ 35 से अधिक प्रकल्प संचालित कर रहा है। इनमें आध्यात्मिक, शैक्षणिक, जीव दया जैसे लोकोपकारी प्रकल्प लोगों का लगातार हित कर रहे हैं। सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में भी संघ लगातार प्रयासरत है।

प्रवचन सार

धर्म को हृदय में धारण करना चाहिए।

उस पर पूरा विश्वास होना चाहिए।

आत्मा के साथ धर्म का संबंध जोड़ना चाहिए।

संघ साहित्य सूची

प्रवचन
का सार

विहार
जानकारी

श्रमणोपासक

समाचार

भव्य जैन भागवती दीक्षा महोत्सव

हुक्म संघ के नवम पट्टधर, युग निर्माता, परमागम रहस्यज्ञाता, परम पूज्य आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलालजी म.सा. एवं बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि जी म.सा. की कृपा से संथारा साधिका वीर माता श्रीमती कस्तूरबाई (95) धर्मसहायिका स्व. श्री शांतिलालजी मोदी, निवासी भदेसर (राजस्थान) की आचार्य भगवन् की विशेष आज्ञा से शासन दीपिका श्री सुप्रतिभा श्री जी म. सा. के मुखारविंद से जैन भागवती दीक्षा आज 11 मार्च 2024 को नानेश रामेश समता भवन भदेसर में संपन्न हुई नये नामकरण में नवदीक्षिता साध्वी श्री राम कस्तूर श्री जी म.सा. के नाम से जिनशासन को शोभायमान करेंगी।
आचार्य श्री के नेश्राय में ( युवाचार्य काल से अब तक) कुल 390 दीक्षाएँ सम्पन्न हुई हैं।

विहार जानकारी

18-03-2024

आदि ठाणा- 7 रात्रिविश्राम  हेतु
विराजित @स्थान- समता भवन ,मंगलवाड़ चौराहा ,
जिला-चित्तौड़गढ़,राज.

एक ओर स्वभाव को धर्म कहा है और दूसरी ओर अहिंसा, संयम और तप को भी धर्म कहा है।

– आचार्य श्री रामेश

अहिंसा और तप का जोड़ने वाला प्राण है- ‘सयम’। संयम नहीं तो अहिंसा भी अहिंसा नहीं रहेगी।

– आचार्य श्री रामेश

यदि क्षुधा से कम ग्रहण किया तो वह भी तप है।

– आचार्य श्री रामेश

इच्छाओं को सीमित करना या भीतर इच्छाओं को जागने ही नहीं देना यह भी तप है।

– आचार्य श्री रामेश

जो ‘पास’ है वो ‘पाश’ है अर्थात् बंधन का कार्य करता है।

– आचार्य श्री रामेश

व्यक्ति के भीतर अशुभ कल्पना जल्दी उभरती है, सामान्य व्यक्ति गलत आशंका जल्दी कर लेता है।

– आचार्य श्री रामेश

जो गगरी(घड़ा) झुकती है उसी में पानी भरता है।

– आचार्य श्री रामेश

अलमस्त अंकिन को न पाने का हर्ष होता है, न जाने का गम अर्थात् उसे भय नहीं सताता।

– आचार्य श्री रामेश

चिन्ता है तो चित्त में चंचलता आये बना नहीं रहेगी। चंचलता भय की जननी है, जो भय का पालन-पोषण करती है।

– आचार्य श्री रामेश

शराब पीने से मस्तिष्क और चिन्तन ही दुर्बल नहीं होता, जीवन भी असंयमित हो जाता है। उसी के कारण अपराध होते हैं।

– आचार्य श्री रामेश

पहले तो आदमी शराब पीता है, फिर शराब, शराब पीती है और फिर शराब आदमी को पी जाती है।

– आचार्य श्री रामेश

निश्चित ही शराब सब अपराधों की जड़ है।

– आचार्य श्री रामेश

हमारा दायित्व है कि हम गुरु का नाम रोशन करें।

– आचार्य श्री रामेश

अपने मन को व्यक्ति स्वयं जान सकता है, उतना अन्य कौन जान पाएगा

– आचार्य श्री रामेश

मन की गति सदा एक ही नहीं रहती है। वह बलदती रहती है

– आचार्य श्री रामेश

मन को साधना कठिन अवश्य है पर असंभव नहीं

– आचार्य श्री रामेश

गृह त्यागी होना ही अणगारत्व नहीं है। अणगार के लिए संयोगों का त्याग होना जरूरी है

– आचार्य श्री रामेश

जब लोग दुःख से भागने की कोशिश करते हैं तब दुःख उनका पीछा करता है, लेकिन जो दुःख का सामना करने को तैयार हो जाता हैं तो दुःख दुबक जाता है

– आचार्य श्री रामेश

धर्म को यदि जीया जाता है तो कोई कारण नहीं कि उससे जीवन में बदलाव न आए

– आचार्य श्री रामेश

सच्चे दिल से जैनत्व को स्वीकार किया होता अथवा हमारे अन्तर में जैनत्व प्रकट हुआ होता तो निश्चित रूप से हम संसार से पार हो जाते |

– आचार्य श्री रामेश

अहं संसार में अटकाएगा। वह भव से पार नहीं होने देगा

– आचार्य श्री रामेश

कपट क्रिया बिना दांव-पेच के सफल नहीं हो पाती। दांव पेच कई बार दूसरों को फांसने में कामयाब हो जाते हैं, किन्तु अन्तवोगत्वा दांव-पेच करने वाला स्वयं उसमें फस जाया करता है

– आचार्य श्री रामेश

धर्म की पहचान हो जाने पर वह सहसा किसी को नहीं ठग सकता

– आचार्य श्री रामेश

धन की तरफ लगा व्यक्ति मान सम्मान की लालसा रखता है किन्तु धर्म की तरफ लगा व्यक्ति इनकी परवाह नहीं करता है

– आचार्य श्री रामेश

श्री नरेन्द्र जी गाँधी

अध्यक्ष , श्री अ.भा.सा. जैन संघ

श्री सुरेश जी बच्छावत

महामंत्री , श्री अ.भा.सा. जैन संघ

श्री राजेश जी बच्छावत

कोषाध्यक्ष , श्री अ.भा.सा. जैन संघ

श्री महादेव जी भंसाली

सह-कोषाध्यक्ष , श्री अ.भा.सा. जैन संघ